Friday, March 19, 2010

waada

वादा


रात के पौने दस बज रहे थे, जब
हजरत निजामुद्दीन स्टेशन
प्लेटफ़ॉर्म नंबर सात की छत से 
झांक कर उसने, वादा किया था मुझसे
चाहे कितनी ही दूरी हो
खजुराहो और दिल्ली में
साथ रहेगा वो मेरे
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मैंने आगे बढ़कर
उस चाँद माथे को चूम लिया
रोशन रहा, मेरा सफ़र

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